कहानी संग्रह ‘शब्द’ बसंत त्रिपाठी
को एक गंभीर कथाकार के रूप में हमसे परिचित करवाता है. इन कहानियों में समकालीन
परिवेश और परिस्थितियों का अच्छा चित्रण है. शैली थोड़ी क्लिष्ट है जो सामान्य पाठक
को संभवतः कठिन लगे. कुछ कहानियों में बसंत त्रिपाठी ने परिवेश चित्रण को इतना
सूक्ष्म और विस्तारित कर दिया है कि वह गैरजरुरी सा लगने लगता है. हालाँकि संग्रह
में उनकी कुछ छोटी कहानियाँ भी बहुत अच्छी हैं, जैसे पिता, अंतिम चित्र और पन्द्रह
ग्राम वजन. शीर्षक कहानी ‘शब्द’ चलन से
बहार हो रहे शब्दों को लेकर एक फंतासी में बुनी गई अच्छी रचना है. बसंत त्रिपाठी
जो विषय उठाते हैं वह उनके सोच और दृष्टि को दूसरों से भिन्न साबित करती है. कहन
शैली में मार्मिकता तो है ही, चिंतन और चिंता भी है. भाषा में कहीं कहीं व्यंग्य
और चुटीलापन भी देखने को मिलता है.
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