Thursday, July 21, 2016

मानव कौल का कहानी संग्रह

मानव कौल का यह पहला कहानी संग्रह  है जिसमें उनकी बारह कहानियां पाठकों के सामने हैं. मानव बहुमुखी हैं, लेखन के आलावा वे फिल्मों, थिअटर में अभिनय कर रहे हैं. नाटकों का निर्देशन वे करते रहे हैं . काई पो चे  और वजीर जैसी फिल्मों में काम मानव के करियर को रेखांकित करते हैं. किताब के फ्लेप पर लिखा है कि उनके लेखन की तुलना निर्मल वर्मा और विनोद कुमार शुक्ल के लेखन से की जाती  है. 
संग्रह की सभी कहानियाँ मनोवैज्ञानिक जटिलता और संवेगों के स्वर में हैं. हर कहानी प्रथम पुरुष यानी मैं से शुरू होती है और पाठक को लगता है कि कहानीकार अपनी  आपबीती सुना रहा है. आसपास कहीं, अभी अभी से ...., मौन के बादलकी, टीस आदि कहानियाँ हालाँकि नए ढंग से कही गई हैं किन्तु इनके आंतरिक गठन में इतनी अमूर्तता और क्लिष्टता है कि पाठक को  साथ चलने में कठिनाई होती है. दूसरा आदमी, गुना-भाग , माँ’ ‘मुमताज भाई  पतंग वाले और तोमाय गान शोनाबो अपेक्षाकृत अधिक संप्रेषित होती हैं तो इसलिए कि इनमें पाठक संवाद कर पाता है. कथानक अपनी क्लिष्टता के बावजूद लीक से हट कर हैं और कुछ कहानियों में रोचक भी है. लेकिन सामान्य पाठक के लिए कहानी के अंत तक पहुंचना चुनौती प्रतीत होता है. 
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