Friday, March 9, 2012

* क्या प्रतिभाओं को भी पचा नहीं पाएगा समाज !?


               
आलेख 
जवाहर चौधरी 

    यह दुर्भाग्य है कि आज भी देश  के कुछ राज्य जातीय वैमनस्य के कीच में लोटते दिखाई दे रहे हैं । उंच-नीच की भावना को जिन्दा रखने वाली कुरीतियां अभी भी जारी हैं । आजादी और लोकतंत्र को साठ साल से अधिक हो गया है । संवैधानिक प्रावधानों के चलते पीड़ित जातियां इस नरक से बाहर आने का निरंतर प्रयास भी कर रही हैं ।  निम्न जातियों को आगे बढ़ते देखने की आदत नहीं होने के कारण अपराधिक स्तर के बल प्रयोग से उन्हें रोकने की दुःखद घटनाएं सामने आ रहीं हैं । हाल ही में पांच राज्यों के चुनावी शोर  में दिल्ली के जनसत्ता में छपी, फरवरी अंत की एक बहुत बड़ी घटना अनसुनी रह गई है ।
                 हरियाणा पिछड़ी मानसिकता का एक रूढ़ राज्य है । यहां छोटी कही जाने वाली बढ़ई जाति के प्रतिभाशाली छात्र प्रदीप को उच्च कही जाने वाली जाट जाति के छात्रों द्वारा इसलिए गोलियों से भून डाला गया कि वह परीक्षा में लगातार अच्छे अंक ला रहा था और मेरिट में उसका दूसरा स्थान बना । चैबीस वर्षीय प्रदीप हिसार के एक इंजीनियरिंग कालेज में चौथे  सेमेस्टर का विद्यार्थी था । प्रदीप के पिता रामलाल ने बताया कि प्रदीप को हमेशा  जाति सूचक शब्दों से ताने मारे जाते थे । अपमान का यह सिलसिला लंबे समय से चल रहा था । पिछले साल दिसंबर में प्रदीप के पिता रामलाल ने इस मुद्दे पर निवेदन किया और जाट लड़कों ने आगे ऐसा कुछ न करने का वादा उन्हें किया था । लेकिन फरवरी अंत में तीसरे सेमेस्टर का परिणाम आया और प्रदीप को 79 प्रतिशत  अंक के साथ दूसरा स्थान  प्राप्त हुआ, जबकि  कल्याण और राजकुमार नाम के उक्त जाट छात्र छः में से पांच पेपर में फेल हो गए । इन्हें प्रदीप की सफलाता  इतनी खली कि उन्होंने उसकी हत्या की योजना बना ली और प्रदीप को मार डालने की धमकी दी ।
                    धमकी से डरा प्रदीप घटना वाले दिन कालेज नहीं जाना चाहता था । लेकिन पिता ने उसे हिम्मत बंधाई और जाट लड़कों को समझाने के लिए खुद भी  उसके साथ गए । बस में पिता-पुत्र ने साथ में सफर किया । हिसार से पंद्रह किलोमीटर दूर कल्पना चावला इंस्टीट्यूट आफ  इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नोलोजी  पर पहुँच  कर प्रदीप पहले उतरा, पिता उसके पीछे ही थे । अचानक मोटर सायकल पर उसके जाट सहपाठी आए और प्रदीप पर पिस्तौल से सात गोलियां बरसा कर भाग गए ।
              हिसार पुलिस ने दोनों अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया है और हत्या में उपयोग की गई पिस्तौल और मोटरसायकल भी जप्त कर ली है । उनसे पता चला है कि प्रदीप की अच्छी पढ़ाई के चलते उसे मार डालने की योजना उन्होंने तीन माह पहले ही बना ली थी ।
                डेढ़-दो वर्ष पहले चक्रसेन नाम के एक दलित छात्र को उच्च जाति वालों ने क्रूरता पूर्वक इसलिए मार डाला था क्योंकि उसका दाखिला इंजीनियरिंग कोर्स बी-टेक के लिए हो गया था । राष्ट्रिय अखबारों की सुर्खी बने इस समाचार के बाद केस क्या हुआ कुछ पता नहीं चला । सवाल यह है कि हमारा समाज किस आत्मघाती दिशा की ओर बढ़ रहा है !? अतीत में भी निम्न जातियों के साथ दुर्व्यवहार  के कारण धर्मांतरण के दंश  हम झेल चुके हैं । यह कहा जाने लगा है कि हिन्दू समाज मात्र सवर्णो का समूह है । यदि प्रतिभाओं को भी समाज नहीं पचा पाएगा तो वह दिन दूर नहीं जब कुछ भस्मासुरों के कारण अप्रिय स्थितियां देखना पड़े ।